मुझे यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि विद्यालय की पत्रिका “उड़ान” का हिंदी ब्लॉग के रूप में शुभारंभ किया जा रहा है। यह केवल एक पत्रिका नहीं है, बल्कि हमारी सृजनात्मकता, अभिव्यक्ति और सांस्कृतिक धरोहर का दर्पण है।
“उड़ान” विद्यार्थियों की प्रतिभा को उजागर करने, उनके विचारों को स्वर देने तथा साहित्य, कला और ज्ञान की विविध धाराओं को एक मंच पर लाने का प्रयास है। लेखन और पठन की आदत बच्चों में चिंतनशीलता, आत्मविश्वास और सकारात्मक दृष्टिकोण का निर्माण करती है। वर्तमान समय की स्थिति में छात्रों के लिए अनुकूल वातावरण और समर्थन प्रदान करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
मुझे विश्वास है कि यह ब्लॉग विद्यार्थियों को नई ऊर्जा प्रदान करेगा और वे लेख, कविताएँ, कहानियाँ, चित्रकला तथा विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से अपनी सृजनशीलता को और अधिक निखारेंगे।
मैं “उड़ान” की पूरी टीम को हार्दिक शुभकामनाएँ देती हूँ। आशा है कि यह प्रयास निरंतर चलता रहेगा, प्रगति के पथ पर अग्रसर रहेगा और विद्यालय का गौरव बढ़ाएगा।
यह अत्यंत हर्ष और गौरव की बात है कि आपके उत्साह, नई सोच, सृजनात्मकता और हिंदी भाषा के प्रति गहन प्रेम के परिणामस्वरूप एम. ई. एस. के हिंदी विभाग ने“हिंदी ब्लॉग – उड़ान”प्रारंभ करने का निश्चय किया है।यह मंच न केवल साहित्य-प्रेमी छात्रों को अपनी अभिव्यक्ति का अवसर प्रदान करेगा, बल्कि हिंदी भाषा की समृद्ध परंपरा, साहित्य, संस्कृति और नवीन प्रयोगों को भी प्रसारित करने का माध्यम बनेगा।
मुझे विश्वास है कि यह ब्लॉग भाषा-प्रेमियों को जोड़ने और नई पीढ़ी में हिंदी के प्रति रुचि जागृत करने मेंमील का पत्थरसिद्ध होगा।
मैं आप सभी से अपेक्षा करता हूँ कि आप सक्रिय रूप से इस मंच पर अपनी लेखन क्षमता, साहित्यिक दृष्टि और विचारशीलता प्रस्तुत करें। आपके प्रयास ही इस ब्लॉग को जीवंत और सार्थक बनाएँगे।
शुभकामनाओं सहित, राजेन्द्रन एस विभागाध्यक्ष (हिंदी विभाग – लड़कों का विभाग)
हिंदी विभाग अध्यक्षा की ओर से………
“उड़ान” ज्ञान और संस्कारों की यात्रा का प्रतीक है। हिंदी विभाग का उद्देश्य विद्यार्थियों में भाषा के प्रति प्रेम, संवेदनशीलता और सृजनात्मकता का विकास करना है।
लेखन, कविता, कहानी और अन्य साहित्यिक गतिविधियों के माध्यम से हम चाहते हैं कि छात्राएँ अपनी प्रतिभा को पहचानें और अपने विचारों को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करें। यह मंच विद्यार्थियों को जोड़ने, उनके विचार साझा करने और हिंदी भाषा के प्रति उनका प्रेम बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है।
“आइए, हम सब मिलकर विचारों को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाएँ।”
हिंदी विभाग की पूरी टीम को मेरी शुभकामनाएँ। आशा है कि इस प्रयास से छात्राओं में सृजनशीलता और भाषा प्रेम और अधिक प्रगाढ़ होगा।
रेणुका गिरिधरन
विभागाध्यक्षा (हिंदी विभाग – लड़कियों का विभाग)
व्यंजन गीत
क है पहला व्यंजन, कंठ से निकला व्यंजन। कौआ बोले काँव काँव कोयल बोले कू कू।
ख है दूसरा व्यंजन खरगोश सा यह सुंदर खेल खेल में सीखें हम, खज़ाना ज्ञान का पाएँ।
ग है तीसरा व्यंजन, गीत में रस है भरपूर। गाजर खाए खरगोश, गेंद से खेलें बच्चे।
घ है चौथा व्यंजन, घोष का सुंदर घर है। घन घन मुखरित अक्षर, घोड़े में भी घ है।
ड.है पंचम व्यंजन, नाक से निकले यह धुन। कंकण में भी ड. है, पंखा में भी ड. है।
— राजेन्द्रन पोरुवषी
हिंदी मेरी जान
हिंदी मेरी जान, मेरी मातृभाषा,
सपनों की रौशनी, संस्कारों की आभा।
मीठे शब्दों की मधुर गूँज,
हर दिल में बसती इसकी हँसती धुन।
गाँव–गाँव से लेकर शहरों तक,
पुस्तकों में ज्ञान का अमृत,
हिंदी ही है हमारी पहचान और चिरंजीव रस।
सिखाती हमें जीने का सही सूत्र।
संस्कृति की छाया, इतिहास की बात,
हिंदी में समाहित है भारत की सौगात।
कोरोना हो या बदलती शिक्षा का दौर,
हिंदी ने थामा हमें हर मोड़ पर।
आओ हम सब मिलकर संकल्प लें,
हिंदी की शान को हमेशा बढ़ाएँ।
हिंदी मेरी जान, हिंदी मेरा मान,
सदा रहे यह हमारे जीवन की पहचान।
–समीर पांडे, वरिष्ठ हिंदी अध्यापक, हिंदी विभाग
ज़िंदगी से नसीब है
प्यास लगी थी बुझाने की, मगर पानी में ज़हर था… पीते तो मर जाते, ना पीते तो सिसक मर जाने का डर था… बस यही वो मसले हैं, जिनमें कोई हल नहीं।
ना नींद पूरी हुई, ना ख़्वाब मुकम्मल हुए!! वक़्त ने कहा — थोड़ा और सब्र होता, सफ़र ने कहा — थोड़ा और क्या होता!!
शिकायतें तो बहुत हैं तुझसे ऐ ज़िंदगी, पर चुप इस लिए हैं कि, जो दिया तूने, वो भी बहुतों को नसीब नहीं होता…
– अगाथा ऐन बिनॉय, 7 O
जिंदगी एक सूत की गेंद है,
तुम्हें अपनी राह खुद बनानी है।
लेकिन कभी-कभी हम कुछ गाँठें बनाते हैं,
तो बस खोल दो उन्हें।
लेकिन अगर वो गाँठें खुल न सकें,
तो उन्हें काटकर फेंक दो।
हर टाँका ज़रूरी है,
इसे अच्छे से छाँट लेना।
– फ़ातिमा सैयद, 7 P
“इंसान बनो”
मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर सब जाते हो, पर किसी भूखे को रोटी कब खिलाते हो? भगवान को ढूंढते हो आसमानों में, पर वो तो बैठा है तेरे ही अरमानों में।
किताबों में नहीं, दिलों में लिखा है धर्म, हर इंसान में बसता है एक परमात्मा का कर्म। रंग, भाषा, मज़हब सब हैं दिखावे, सच्ची पूजा तो है — आँसू सुखाने में।
कभी किसी के दर्द को बाँट कर देखो, उसके चेहरे पर मुस्कान उगा कर देखो। पता चलेगा — स्वर्ग यही ज़मीन पर है, जब इंसानियत तेरे सीने में ज़िंदा है।
दौलत नहीं, मोहब्बत कमाना सीखो, नफरत नहीं, अपनापन बाँटना सीखो। क्योंकि इस धरती का सबसे बड़ा वरदान — “मानवता” है, यही सच्ची पहचान।
प्रज्ञा पांडे हिन्दी विभाग
हमारे दैनिक जीवन में शिक्षकों की भूमिका
शिक्षक हमारे दैनिक जीवन में हमारे मार्गदर्शक होते हैं। वे हमेशा यह सुनिश्चित करते हैं कि हमारे लिए क्या सबसे अच्छा है। एक अच्छा शिक्षक मोमबत्ती की तरह होता है — जो खुद को जलाता है ताकि दूसरों के लिए रोशनी फैल सके। इसका अर्थ है कि शिक्षक अक्सर हमारे लाभ के लिए अपनी सुविधाओं का त्याग करते हैं।
शिक्षक न केवल हमारे मार्गदर्शक हैं, बल्कि हमारे आदर्श भी हैं। वे लगातार अपने समर्पण के माध्यम से हमें प्रेरित करते हैं और धैर्य और उत्साह से हमें मार्गदर्शन देते हैं। उनके कारण, यहां तक कि सबसे गरीब व्यक्ति भी महान और प्रसिद्ध बन सकते हैं।
शिक्षक विद्यार्थियों के चरित्र और मूल्य गढ़ते हैं और उन्हें भविष्य के जिम्मेदार नागरिक बनाने के लिए तैयार करते हैं। वे हमेशा छात्रों की संभावनाओं को उजागर करने में मदद करते हैं।
शिक्षक हमें शैक्षिक और भावनात्मक रूप से हमेशा सहारा देते हैं। वे हमारी पूर्ण विकास के लिए संस्कृति, ज्ञान और नए विचारों को बढ़ावा देते हैं।
-नंदिनी अनुराज, 7 U
मेरी सबसे अच्छी दोस्त के बारे में
मेरी सबसे अच्छी दोस्त बहुत प्यारी और दयालु है। हम एक ही कक्षा में हैं, लेकिन एक ही स्कूल में नहीं। वह मेरी पढ़ाई में मेरी मदद करती है। हमें साथ में खेल खेलना बहुत पसंद है। वह बहुत मज़ाकिया है और मुझे हमेशा खुश रखती है। वह मेरी परवाह करती है और जब भी मैं दुखी होती हूँ, मेरा हमेशा साथ देती है। एक सबसे अच्छी दोस्त होने के कारण, मेरा जीवन कई मायनों में बेहतर और खुशहाल हो गया है।
-एथीना मारिया, 7 U
मेरा पसंदीदा – हिन्दी भाषा
रहेगी सदा मेरी जुबानी, हमारी राष्ट्र भाषा हिन्दी I
सीखो इसे बोलना और पढ़ना, तभी तो रहेगी ए एक पद अँची।
इससे ना केवल बढ़ेगी एकता और संगति बदले में एक दूसरे को समझना होगी आसानी।
क्यों है ना मेरी कहना साफ़, जो है, हमारी काबिल-ए-तारीफ ।
रिवोन सल्डाना कक्षा-1 P
मैं और मेरे शिक्षक (लेख)
मेरे शिक्षक मेरे जीवन के महत्वपूर्ण मार्गदर्शक हैं। वे न केवल पाठ्यक्रम के ज्ञान को साझा करते हैं, बल्कि वे जीवन के कई महत्वपूर्ण सबक भी सिखाते हैं। मेरे शिक्षक की भूमिका मेरे विकास में अत्यधिक महत्वपूर्ण रही है, और मैं उनके प्रति गहरी कृतज्ञता महसूस करता हूँ।
मेरे शिक्षक ने हमेशा मुझे प्रेरित किया है और मेरी क्षमताओं पर विश्वास रखा है। जब मैंने कठिनाइयों का सामना किया या आत्म-संशय में था, तब उनके शब्द और मार्गदर्शन ने मुझे प्रेरित किया और आत्म-विश्वास दिया। उनकी शिक्षाएँ केवल किताबों तक सीमित नहीं हैं; वे जीवन के विभिन्न पहलुओं पर भी गहराई से ध्यान देते हैं।
शिक्षक का स्वभाव सिखाने के साथ-साथ सिखाने का तरीका भी महत्वपूर्ण होता है। मेरे शिक्षक ने न केवल ज्ञान प्रदान किया, बल्कि उन्होंने यह भी सिखाया कि कैसे सवाल पूछना चाहिए, आलोचनात्मक सोच विकसित करनी चाहिए, और समस्याओं को हल करने के नए तरीके अपनाने चाहिए। उनकी कक्षाएँ हमेशा प्रेरणादायक होती हैं और मेरे ज्ञान की प्यास को बुझाती हैं।
मेरे शिक्षक ने न केवल अकादमिक मुद्दों पर ध्यान दिया, बल्कि व्यक्तिगत विकास पर भी ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने मुझे सिखाया कि कैसे खुद को और दूसरों को सम्मान देना चाहिए, कैसे ईमानदारी और मेहनत से काम करना चाहिए, और कैसे जीवन की चुनौतियों का सामना धैर्य और साहस से करना चाहिए।
मैं उनके साथ बिताए गए समय की सराहना करता हूँ और उनकी सलाह और मार्गदर्शन का हमेशा पालन करता हूँ। उनके बिना, मैं आज जो कुछ भी हूँ, वह संभव नहीं होता। उनके आशीर्वाद और समर्थन ने मेरे जीवन को दिशा दी है और मेरी आकांक्षाओं को साकार करने में मदद की है।
इस प्रकार, मेरे शिक्षक केवल शैक्षणिक ज्ञान के प्रदाता नहीं हैं, बल्कि वे मेरे जीवन के आदर्श, मार्गदर्शक और प्रेरणास्त्रोत भी हैं। उनकी शिक्षा और मूल्य मेरे जीवन में हमेशा मार्गदर्शक रहे हैं और मैं उनके प्रति हमेशा कृतज्ञ रहूँगा।
काशी कुमार, शिक्षक
“मेरी प्यारी माँ”
मेरी माँ मेरे जीवन की सबसे बड़ी ताकत हैं। वह मुझे प्यार करती हैं, पढ़ाती हैं, और हमेशा मेरा ध्यान रखती हैं। माँ बिना थके काम करती हैं और कभी शिकायत नहीं करतीं। जब मैं दुखी होती हूँ, तो माँ मुझे गले लगाती हैं और मैं अच्छा महसूस करती हूँ। माँ भगवान का सबसे सुंदर तोहफा हैं।
टेसा शिनु , 7N
मेरी यात्रा – दिल्ली से दोहा तक
मैं पहली बार सफर पर निकली, दिल्ली से दोहा।
उड़ान लेने के लिए जब मैंने जहाज देखा, मन खुशी से भर गया। जहाज़ कितना बड़ा था!
मैंने सोचा और फिर एयरहोस्टेस दीदी ने समझाया कि सुरक्षा का पाठ हमें हमेशा याद रखना चाहिए।
“सीट बेल्ट कसकर बाँध लो, उड़ान में इधर-उधर मत दौड़ो।”
खिड़की से बादल जब मैंने देखे, मानो आसमान में तैर रहे हों।
दिल धड़क रहा था, मन मुस्कुरा रहा था।
कुछ ही घंटों में मैं दोहा पहुँच गई, और मन ने खुशी का गीत गाया।
– महिन मलिक, 7 P
प्रकृति की गोद में
हरी बारी हरियाली से, धरती खुद अपनी बात बताती है।
फूलों की खुशबू जो हवा में घूमती है, वह दिल को सुकून सी देती है।
नदी के किनारे जब बैठती हूँ,
तो हर शोर से दूर हो जाता हूँ।
पेड़ों की छाया जब अपनी गोद में लेती है,
मन को एक अजीब शांति मिलती है।
चिड़िया जब अपनी मधुर आवाज़ में गाती है,
तो लगता है जैसे कोई पुरानी याद ताज़ा हो जाती है।
नीला आसमान और हल्की ठंडी हवा,
सब कुछ इतना अपना लगता है, जैसे समय रुक गया हो।
प्रकृति की इस गोद में, मैं अपने आप को खो देती हूँ।
हर दर्द, हर फिक्र को भूल कर, बस यह पल जीती हूँ।
– हफ़साह, VII-T
मेहनत – मेरे विद्यालय के दिनों की मज़ेदार यादें
मैं आज चालीस वर्ष का हूँ, लेकिन अपने स्कूल के दिन अब भी ऐसे याद आते हैं जैसे कल की ही बात हो। उन दिनों सुबह-सुबह उठकर तैयार होना, भारी बस्ता लेकर स्कूल जाना और फिर कक्षा शुरू होने से पहले झाडू लगाना, बगीचे में पौधों को पानी देना, खेल के मैदान को साफ़ करना सब कुछ आज सोचकर मज़ेदार लगता है। उस समय हमें लगता था कि यह सब अतिरिक्त काम है, लेकिन आज समझ में आता है कि यह तो “मुफ़्त जिम” और “टीम-बिल्डिंग वर्कशॉप” जैसी चीजें थीं। बिना फीस के फिटनेस और व्यक्तित्व विकास!
हमारे शिक्षक किताबों के अलावा हमें यह भी सिखाते थे कि मेहनत करना शर्म की बात नहीं, बल्कि गर्व की बात है। जब हम सफाई करते, पौधे लगाते या किसी समारोह की तैयारी में मदद करते, तो अंदर-ही-अंदर यह एहसास होता कि हम अपनी मेहनत से स्कूल को सुंदर बना रहे हैं।
अब जब मैं अपने बच्चों के स्कूल देखता हूँ, तो खुशी होती है कि समय बदल गया है। आज के स्कूलों में स्मार्ट क्लास, कंप्यूटर लैब, रोबोटिक्स, डिजिटल लाइब्रेरी और प्रोजेक्ट-आधारित सीखने के तरीके हैं। जो बातें हमें मैदान और बगीचे में मिलती थीं, अब वे बच्चों को प्रयोगशालाओं, सिमुलेशन और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म में मिल रही हैं। मेहनत का स्वरूप बदल गया है अब शारीरिक श्रम के बजाय मानसिक और तकनीकी मेहनत पर ज़ोर है लेकिन मेहनत का महत्व और उसका आनंद वही है।
मुझे लगता है कि मेरे समय के श्रम और आज की तकनीक दोनों मिलकर बच्चों को और सक्षम बना रहे हैं हमारे समय में स्कूल ने हमें अनुशासन, ईमानदारी और परिश्रम का पाठ पढ़ाया; आज के स्कूल बच्चों क रचनात्मकता, खोज और तकनीकी कौशल सिखा रहे हैं। दो अलग-अलग रास्ते हैं, लेकिन मंज़िल वही है अच्छे इंसान और जिम्मेदार नागरिक बनाना।
यही सोचकर मुस्कुराता हूँ कि मेहनत और सीखने के तरीके बदल सकते हैं, लेकिन उनका मज़ा और मूब हमेशा बना रहता है। मेरे स्कूल के दिन मुझे हर रोज़ याद दिलाते हैं कि जीवन में मेहनत किसी भी रूप में जाए, वह हमारी ताकत और सफलता का आधार है।